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दशाश्वा॒न्दश॒ कोशा॒न्दश॒ वस्त्राधि॑भोजना। दशो॑ हिरण्यपि॒ण्डान्दिवो॑दासादसानिषम् ॥२३॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

daśāśvān daśa kośān daśa vastrādhibhojanā | daśo hiraṇyapiṇḍān divodāsād asāniṣam ||

पद पाठ

दश॑। अश्वा॑न्। दश॑। कोशा॑न्। दश॑। वस्त्रा॑। अधि॑ऽभोजना। दशो॒ इति॑। हि॒र॒ण्य॒ऽपि॒ण्डान्। दिवः॑ऽदासात्। अ॒सा॒नि॒ष॒म् ॥२३॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:47» मन्त्र:23 | अष्टक:4» अध्याय:7» वर्ग:34» मन्त्र:3 | मण्डल:6» अनुवाक:4» मन्त्र:23


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर मन्त्रीजन राजा से क्या प्राप्त होवें, इस विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे ऐश्वर्य्य से युक्त राजन् ! (दिवोदासात्) सुन्दर धन के देनेवाले आप से (दश) दश सङ्ख्या से युक्त (अश्वान्) घोड़ों और (दश) दश सङ्ख्या से युक्त (कोशान्) दशगुने धन से पूर्ण खजानों और (दश) दश प्रकार के (वस्त्रा) वस्त्रों को और दश प्रकार के (अधिभोजना) अधिक भोजनों को और (दशो) दश प्रकार के (हिरण्यपिण्डान्) सुवर्ण आदि समूहों को मैं (असानिषम्) संविभाग करके प्राप्त होऊँ ॥२३॥
भावार्थभाषाः - जो धार्मिक, शूरवीर और शत्रुओं के जीतनेवाले, राजभक्त और प्रजा के पालन में तत्पर विद्वान् मन्त्रीजन होवें, वे घोड़े आदि सम्पूर्ण पदार्थों को दशगुने राजा के समीप से प्राप्त होवें ॥२३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनरमात्या राज्ञः किं प्राप्नुयुरित्याह ॥

अन्वय:

हे इन्द्र राजन् ! दिवोदासात्त्वद्दशाऽश्वान् दश कोशान् दश वस्त्रा दशाऽधिभोजना दशो हिरण्यपिण्डांश्चाऽहमसानिषं प्राप्नुयाम् ॥२३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (दश) एतत्सङ्ख्याकान् (अश्वान्) तुरङ्गादीन् (दश) (कोशान्) दशगुणधनपूर्णान् (दश) दशगुणानि (वस्त्रा) वस्त्राणि (अधिभोजना) अधिकानि भोजनानि (दशो) (हिरण्यपिण्डान्) सुवर्णादिसमूहान् (दिवोदासात्) कमनीयधनदातुः (असानिषम्) सम्भज्य प्राप्नुयाम् ॥२३॥
भावार्थभाषाः - ये धार्मिकाः शूरवीराः शत्रूणां विजेतारो राजभक्ताः प्रजापालनतत्परा विद्वांसोऽमात्याः स्युस्तेऽश्वादीन् सर्वान् पदार्थान् दशगुणान् राजसकाशात् प्राप्नुयुरिति ॥२३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे धार्मिक, शूरवीर, शत्रूंना जिंकणारे, राजभक्त व प्रजापालनात तत्पर विद्वान मंत्री असतील त्यांना घोडे इत्यादी संपूर्ण पदार्थांच्या दहापट राजाकडून प्राप्त झाले पाहिजे. ॥ २३ ॥